आठवाँ वचन

वर-वधू विवाह की रस्म निभा रहे थे।एक दूसरे को सात वचन दे रहे थे कि तभी वधू की बूढ़ी दादी ने कहा-“देखो बच्चों सात वचन के बाद एकआठवाँ वचन भी तुम्हें एक-दूसरे को देना पड़ेगा।”
यह सुनकर विवाह में उपस्थित लोग चौंक गए।पंडित जी भी दादी का मुँह देखने लगे।
पंडित जी ने कहा-आठवाँ
वचन तो होता ही नहीं अम्मा जी, विवाह में केवल सात वचन बोला जाता है फिर ये आठवाँ वचन?”
दादी ने मुस्कुराते हुए कहा- हां पंडित जी, अब वर-वधू को आठवाँ वचन भी निभाना पड़ेगा और यह आठवां वचन अब विवाह में अनिवार्य किया जाना चाहिए।”
यह सुनकर सभी अब आठवाँ वचन सुनने के लिए उत्सुक हो उठे। दादी ने कहा”-वो ये है कि वर-वधू आठवाँ वचन लें कि हम कभी कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगे।बेटा-बेटी में भेद नहीं करेंगे।बेटियों को बराबरी का दर्जा देते हुए खूब पढ़ाएंगे। काश!यह वचन मेरे माता-पिता ने भी निभाया होता तो मुझे अनपढ़ और उपेक्षित जीवन नहीं जीना पड़ता।”यह कहती हुई दादी का गला रुंध गया।
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