बसंत

भव्य
इमारत के
वातानुकूल कमरे के
शो केस में
कागज की बनी
गुलाब की
पंखुड़ियों को देखकर
तुम
यह मत समझो
कि
बसंत आ गया है।।।
कूकती कोयल,
इतराते आम्रबौर,
सुगंध बिखेरते पुष्प,
सम्मोहित करती
पुरवैया,
महज
प्रकृति का श्रृंगार
ही नहीं है
और न ही
पंचसितारा
संस्कृति में डूबकर
कमर मटकाने
जाम झलकाने का
घिनौना
और
वैश्याना बिम्ब है,
बल्कि वह तो
सुकोमल भावनाओं और
संवेदनाओं को अंकुरित करती
जीवन के अ
सीम आनंदित झणों के
अनुपम श्रृंगार का
प्रतिबिंब है।।
टेसू का
अंगारों सा दहकना
केवल
प्रकृति का सौन्दर्य ही नहीं
बल्कि
दैत्याना और बहिशाना
हरकतों के खिलाफ
एक जंग का
ऐलान भी है
और
जगमगाती
नई सुबह की
लालिमा की दस्तक है।।
जब
उन्मुक्त हंसी,
निश्छल मुस्कान,
पुरवैया मनभावन,
काव्य,कला,संगीत की अनुगूँज हो,
वनपांखियो का