Author: हर्षराज हर्ष
अभी तलक बेटे की ज़िंदगी बनाने में लगा है
अभी तलक बेटे की ज़िंदगी बनाने में लगा है, पिता रिटायरमेंट के बाद भी कमाने में लगा है। जिस दिन से मेरा नाम छपा ...उस शख़्स को बाग़ से देखकर
उस शख़्स को बाग़ से देखकर जाते हुए, रोने लगते हैं वहाँ के फूल मुरझाते हुए। उसे छू कर देखने का तज़ुर्बा नहीं है ...