Author: श्याम नारायण श्रीवास्तव
अपनी–अपनी संतुष्टि
उस दिन जब घंटी बजी तो मैंने ही दरवाजा खोला था | बाहर अखबार वाला था | उसने नमस्ते करते हुए उस माह का ...होली के दिन
निकल पड़ी बच्चों की टोली फिर आई रंगो की होली पिचकारी से रंग भरे हैं लाल-लाल कुछ हरे–हरे हैं पकड़ो – पकड़ो रंग लगाओ ...इतिहास के पन्नों से लुप्त होते साहित्यकार : बन्दे अली फातमी
कलमकी तलवार पकड़े इन साहित्यिक सिपाहियों ने समय-समय पर गांधीजी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी भी निभाई है। विदेशी वस्त्रों का त्याग किया ...एक समय पश्चात्
नव निर्मित भवन को भीतर – बाहर खूब सजाया उसने पहले तो भरा तमाम अत्याधुनिक संसाधनों से फ्रिज , ए .सी , वाशिंग मशीन ...चाँद पर पानी
माँ मुझको इक यान मंगा दो मैं भी चाँद पर जाउंगा मेरी बहुत बड़ी इच्छा है मामा से मिल कर आऊंगा सुना है मामा ...साहित्य संवाहक हरकिशोर दास का रचनाकर्म
मै जल – जल निज तप के बल से प्रभु तेरे उर के सागर से उमड़ा लाऊंगा जग के हित चिर शीतल घन मेघ ...छायावाद के गाँव में एक दिन
(पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय जी का गाँव) निश्चय ही किसी प्रसिद्ध साहित्यकार का गाँव एक तीर्थ स्थान के समान होता है – एक साहित्यिक तीर्थ ...