रिपोर्ताज
रिपोर्ताज– रिपोर्ट के कलात्मक और साहित्यिक रूप को ही रिपोर्ताज कहते हैं | किसी घटना या दृश्य का अत्यन्त विवरणपूर्ण, सूक्ष्म, रोचक, वर्णन इसमें इस प्रकार किया जाता है कि वह हमारी आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाय और उससे प्रभावित हो उठें, वरिष्ठ साहित्यकार बाबू गुलाबराय का कहना है- रिपोर्ट की भांति रिपोर्ताज में घटना या घटनाकार वर्णन तो अवश्य करता है, किन्तु इसमें लेखक के ह्रदय का निजी उत्साह रहता है जो वस्तुगत सत्य पर बना किसी प्रकार का आवरण डाले उसको प्रभावमय बना देता है |
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